Sunday, August 1, 2010

आस्तीन में सांप पाले हैं -

        हो सकता है , कुछ लोगों को फ्रेंडशिप डे पर यह बात अजीबोगरीब लगे | पर , मेरी सलाह हमेशा यही रहेगी कि जब भी दोस्त बनाओ , बहुत सोच समझकर बनाओ | यदि आप खुद अपनी जिंदगी पर नजर दौड़ाओगे तो पाओगे बचपन से लेकर अभी तक जितना नुकसान आपने दोस्ती के खातिर उठाया है , उतना नुकसान किसी और संपर्क से नहीं. उठाया होगा | बचपन में माँ -बाप बच्चों के दोस्तों को बच्चों से पहले पहचान जाते है , इसीलिये वे अपने बच्चों के दोस्तों पर और खुद अपने बच्चों पर अंकुश लगाया करते हैं | यह सिलसिला आज तक चला आ रहा है | कथा कहानियों और फिल्मों को छोड़ दें तो पहले बचपन ,फिर स्कूल , कालेज और उसके बाद व्यवसाय में दोस्त बनते हैं | बचपन और स्कूल के दोस्त अकसर बिछुडने के बाद मुश्किल से मिलते हैं | यदि मिले भी तो खुशी कितनी भी दिखाएँ लेकिन  A Friend in need ,A Friend indeed नहीं हो पाते हैं | कालेज के दोस्तों के साथ भी कमोबेश यही बात लागू होती है | एक ही पेशे में होने से जों मित्रता कायम होती है , उसमें अवश्य कुछ ठहराव होता है , पर इसी मुकाम पर मित्रता में धोके भी बहुत होते हैं | क्योंकि तब आपकी मित्रता परिपक्व लोगों से होती है , जिनके अपने स्वार्थ होते हैं , लक्ष्य होते हैं और उन लक्ष्यों की प्राप्ती के लिए कुटिल चालें होती हैं , जिनके सामने मित्रता कहीं नहीं टिकती |दोस्त बनाने से पहले दुष्यंत का यह मशहूर शेर हमेशा याद रखो ;
                   जब भी किसी आदमी को देखो बार बार देखना
                   एक आदमी के अंदर छिपे रहते हैं कई कई आदमी
और , यदि , आपका मित्र राजनीति में है तो समझ लीजिए वह आपका मित्र नहीं है | मित्र के नाम पर ढोंगी है | आप उसके लिए एक वस्तु से अधिक कुछ नहीं जिसका इस्तेमाल करने के बाद वह  इस्तेमाल करने वाले के लिए तुच्छ हो जाती है | मैंने बत्तीस साल पहले यह गलती की थी , काशीनाथ के साथ मित्रता करके | दूसरी गलती यह है कि में उस मित्रता को  आज तक निभाता रहा , इस सचाई को जानने के बाद भी कि वो मेरा इस्तेमाल घोड़ी की तरह कर रहा है , जिस पर चडकर वह तो बुलंदियों को छूना चाहता है , पर बुलंदी पर पहुँचने के बाद घोड़ी को लात मारकर गिराना भी नहीं भूलता | सही मित्र की एक ही पहचान होती है ,वह आपकी बुराई बकौल शायर कुछ इस तरह करता है ;
                            मुझसे कहिये खताएं मेरी
                            गैर से मत गिला कीजिये |
 आप कह सकते हैं , सबके अपने-अपने अनुभव होते हैं | पर , जब विपरीत अनुभव ज्यादा हों तो संभलकर चलने में ही समझदारी है | इस फ्रेंडशिप डे पर तो में इतना ही कहूँगा ;
                            आस्तीनों में सांप पाले हैं
                            मेरे अंदाज कुछ निराले हैं |
वैसे दोस्त कितना भी दुश्मन क्यूँ न बन जाए , मेरा तो उसके लिए हमेशा यही सन्देश रहेगा ;
                            तुम्हारी - मेरी ये दुश्मनी भी है
                            एक मुअम्मा 
                            खुद अपने घर को न आग जब तक
                            लगाओगे तुम
                            मुझे नहीं मार पाओगे तुम |
हेप्पी फ्रेंडशिप डे ?
कल उपस्थित नहीं हो पाया , उसके लिए माफी | दरअसल , शनिवार को मेरा नाती आ जाता है | वह काम नहीं करने देता | आने वाले समय में इसका कुछ उपाय निकालूँगा |
कल फिर मुलाक़ात होगी ,कब , आधी रात को , जब चौकीदार सीटी बजाता है |
                             शुभ रात्री , शुभ कामनाएं |
                                                                                                       अरुण .....             

No comments:

Post a Comment